शनिदेव की दृष्टि

शनि देव की उत्पतिविश्वकर्मा जी ने अपनी पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्य देव के साथ कर दिया सूर्य देव का जब विवाह हुआ तो उस समय सूर्य देव सुकुमार अवस्था के थे सूर्य देव के विवाह में सभी देव गण,ऋषि,मुनि,गन्धर्व सब सामिल हुए और विवाह के बाद संज्ञा ने एक पूत्र यम और एक पुत्री यमुना को जन्म दिया, संज्ञा बहुत ही कोमल थी और शांत प्रकृति की थी संज्ञा सूर्य देव के तेज को अधिक दिनों तक सहन नही कर सकी और तब संज्ञा ने योगबल के माध्यम से अपनी छाया को जीवंत बनाकर उसे सूर्य भगवान की सेवा में रहने के लिए कहा और स्वयं उत्तराकुश में जाकर तपस्या करने लगी और तपस्या में लीन हो गयी

छाया में संज्ञा के समस्त गुणों का समावेश था इस लिए सूर्य देव को पता ही नही चला की ये संज्ञा नही है सूर्य देव छाया को अपनी पत्नी संज्ञा समझ कर छाया के साथ व्यवहार कर रहे थे कुछ समय बीतने के बाद छाया ने एक पूत्र को जन्म दिया शनि देव जन्म से ही श्याम वर्ण के थे शनि देव का जब जन्म हुआ और ये समाचार जब सूर्य देव को मिला तो वे अपने पूत्र को देखने के लिए आये और जब सूर्य देव ने शनि देव को देखा तो वे श्याम वर्ण के थे शनि देव  का श्याम वर्ण देख कर के सूर्य देव ने कहा ये मेरा पूत्र नही है और मै इसे अपना पूत्र नही मानता सूर्य भगवान ने शनि देव को अपना पूत्र मानने से इनकार कर दिया

छाया ने सूर्य देव को बताया मै संज्ञा नही हु मै छाया हु हे कृपानिधान यम आपका पूत्र है तो शनि भी आपका ही पूत्र है मै आपकी पत्नी संज्ञा की प्रतिरूप छाया हु यही कारण है की शनि का वर्ण श्याम है आपकी प्रथम पत्नी संज्ञा ने यम को जन्म देने के बाद और मुझे यहाँ स्थापित करने के बाद आपकी पत्नी संज्ञा तपस्या करने के लिए उतराकुश में चली गयी और मै तब से आपकी दूसरी पत्नी बन कर आपकी सेवा कर रही हु जब सूर्य देव को ये पता चला की छाया संज्ञा नही है उस दिन से सूर्य देव का व्यवहार बदल गया और तब से छाया और शनि देव से सूर्य भगवान उपेक्षा का व्यवहार करने लगे शनि देव के साथ उपेक्षा का व्यवहार होने के कारण शनि देव बचपन में ही उदंड और क्रूर बन गये सूर्य देव के पूत्र यम ने क्रोध में आकर माता छाया को लात से मार दिया और फिर माता छाया ने यम को मृत आत्माओ का अधिपति होने का शाप दे दिया और जब सूर्य देव को पता चला की छाया ने यम को शाप दे दिया तो सूर्य देव को बहुत ही तेज क्रोध आया और क्रोध में आकर उन्होंने यम को मिले शाप को बरदान में बदल दिया और इतना करने के बाद भी सूर्य देव का क्रोध शांत नही हुआ, प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर सूर्य देव ने शनि देव को शाप देते हुए कहा तुम्हारी माता का व्यवहार पक्षपातपूर्ण है और तुम्हारी माता में क्रूरता की भावना है और तुम उसके ही पूत्र हो इस लिए तुम्हारे अंदर भी उसके सभी गुण-और अवगुणों का समाबेश है इस लिए मै तुम्हे शाप देता हु की तुम्हारी दृष्टि में भी क्रूरता स्थायी रूप से रहेगी सूर्य देव के शाप के बाद से ही शनि देव की दृष्टि क्रूरतापूर्ण हो गयी उनकी क्रूर दृष्टि किसी पर न पड़े इस लिए शनि देव सिर झुकाकर रहने लगे !

Comments

  1. ज्ञानवर्धक 🙏🙏

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  2. Jai शनिदेव 🙏🙏

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  3. हर हर गंगे🙏

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  4. Karmafal data Shani Dev ki Jay Ho

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  5. जय शनि देव🙏

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  6. ખૂબ જ રસપ્રદ માહિતી

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  7. Jai ho shani maharaj ki

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  8. जय शनिदेव

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  9. उत्तम 🙏

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  10. जय शनि देव 🙏

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  11. उत्तम

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  12. ખૂબ જ રસપ્રદ માહિતી

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  13. उत्तम शनि देव की कृपा हमेशा बनी रहे-शनिधाम कुन्जरु

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  14. उत्तम शनि देव की कृपा हमेशा बनी रहे-शनिधाम

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  15. जय शनि देव🙏

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  16. उत्तम

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  17. उत्तम शनि देव की कृपा हमेशा बनी रहे-शनिधाम कुन्जरु

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  18. जय शनि देव 🙏....शनिधाम

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