धार्मिक और वैदिक शास्त्रों के अनुसार माता गायत्री को तीन स्वरूपों वाली देवी माना जाता है
धार्मिक और वैदिक शात्रों के अनुसार माता गायत्री को तीन स्वरूपों वाली देवी माना जाता है| प्रात:काल गायत्री के जिस रूप की आराधना की जाती है, वह इनकी कुमारी अवस्था है| माता गायत्री के इस रूप का परिचय ऋग्वेद से प्राप्त होता है| सूर्यमंडल के मध्य में विराजमान यह देवी गायत्री लाल वर्ण की हैं, जो अपने दोनों हाथों में अक्षसूत्र और कमंडलू धारण करती हैं| इनका वाहन हंस हैं| माता गायत्री का यही स्वरूप ब्रम्हाशक्ति के रूप में प्रसिद्ध हैं| मध्याहन काल में माँ गायत्री के युवा स्वरूप का आराधना की जाती है| इस रूप में देवी के तीन नेत्र और चार हाथ हैं| इनमें क्रमश: शंख,चक्र,गदा और पंकज सुशोभित हैं| इनका वाहन गरुण है| देवी के इस स्वरूप को सावित्री भी कहते हैं| माँ गायत्री के इस स्वरूप का परिचय यजुर्वेद में मिलता है| संध्याकाल में माँ गायत्री के वृद्धा स्वरूप की उपासना की जाती है| माँ का यह स्वरूप तीव्र शक्ति का परिचायक है| इस स्वरूप में देवी ने अपने चारों हाथों में त्रिशूल,डमरू,पास और पात्र धारण किये हैं| इनका वाहन वृषभ है| देवी के इस स्वरूप का परिचय सामवेद से प्राप्त होता है| पूजा अर्चना माँ