भगवान सूर्य देव स्यमंतक मणि अपने गले से निकाल कर किसे दिए ( neelam.info)

 

    

 भगवान सूर्य देव स्यमंतक मणि अपने गले से निकाल कर किसे दिये

 सत्राजित बहुत ही प्रतापी और धर्म-परायण राजा थे| सत्राजित बगवान सूर्य देव के बहुत बड़े भक्त थे वह प्रात:काल स्नान करने के बाद नदी के किनारे बैठ कर सूर्य देव की उपासना करते थे एक दिन सत्राजित  अपने मन में सोचने लगे जिन भगवान की मै पूजा करता हूँ| वे देखने में कैसे है?उनका स्वरूप कैसा है? मै भगवान सूर्य देव का साक्षात दर्शन करके ही रहूँगा| सत्राजित वन में जाकर कठोर तपस्या आरंभ कर दिए| सैकड़ो वर्षो तक तपस्या करने के बाद भगवान सूर्य देव प्रसन्न होके सत्राजित के सामने साक्षात प्रगट हुए सूर्य देव सत्राजित से बोले हे वत्स मै तुम्हारे समक्ष अपने पुरे स्वरूप में प्रगट हुआ हूँ अपनी आँखे खोलकर मेरे स्वरूप का दर्शन करो | भगवान सूर्य देव की बाते सुन कर जैसे ही सत्राजित ने अपने नेत्र खोले सत्राजित को चारों ओर प्रकाश-ही-प्रकाश दिखाई दिया| इस कारण सत्राजित सूर्य देव का स्पष्ट दर्शन नहीं कर सके| सत्राजित भगवान सूर्य देव से बोले हे प्रभु मै दिव्य प्रकाश के कारण आपका दर्शन नहीं कर पा रहा हूँ| कृपया ऐसा उपाय करे की मै आपका स्पष्ट दर्शन कर सकू अन्यथा मेरा यह तप व्यर्थ चला जायेगा | सत्राजित की दुविधा देखकर सूर्य देव ने अपने गले में से स्यमंतक मणि निकाल दी मणि के निकलते ही सूर्य देव स्पष्ट दिखने लगे तब सत्राजित ने भगवान सूर्य देव के साक्षात दर्शन किये | भगवान सूर्य देव सत्राजित के तपस्या से प्रसन्न होकर अपने गले का स्यमंतक मणि सत्राजित को उपहार में दे दी | स्यमंतक मणि प्राप्त करने के बाद सत्राजित ने स्यमंतक मणि अपने गले में धारण कर लिया| स्यमंतक मणि के प्रभाव से सत्राजित पुन:युवा, बलशाली और देव-तुल्य हो गये |

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