भगवान शिवजी शिकारी को दर्शन क्यों दिए
भगवान
शिवजी शिकारी को दर्शन क्यों दिए
धार्मिक
मान्यताओ के अनुसार शिवरात्रि के दिन शिव
पूजन में शिवलिंग पे जल चढ़ाने से मन शांत रहता है I दूध चढ़ाने से स्वस्थ और निरोग
रहता है शिवपूजन में अर्पित सामग्री जल,दूध,दही,देसी घी,चीनी,केसर,चंदन,शहद,इत्र,वेलपत्र,भाँग,धतुरा,बेर,गन्ना,जौ की बाली,फूल,फल,चढ़ाते
हैं I
धार्मिक
मान्यताओं के अनुसार कई कथाएँ है I
भगवान शंकर महाशिवरात्रि के दिन शिकारी को दर्शन दिए थे I जो इस कथा को शिवरात्रि के दिन सुनता है भगवान शिवजी की कृपा उस पर बनी रहती है और उसे अंत में मोक्क्ष प्राप्त होता I
एक शिकारी अपने परिवार के साथ जंगल में रहता था I एक दिन वे शिकार करने के लिए
निकला, पूरे दिन वे जंगल में इधर से उधर भटकता रहा I लेकिन उसे कोई जानवर नही मिला शिकारी मन ही मन
सोचने लगा,आज पूरे दिन मेरे बीबी बच्चे भूखे रह गये, अब मै क्या करु आज पुरे दिन
हम सपरिवार भूखे रह गये, लग रहा है रात में भी भूखे ही सोना है मेरे बच्चे भूख से
तड़प रहे होगें शिकारी भी पूरे दिन भूखा ही रह गया I शिकारी भूखे रहने की वजह से थक चूका था शिकारी को
तालाब के पास एक बेल का वृक्ष दिखा शिकारी दुखी मन से बेल के पेड़ पे चढ के बैठ गया
थोड़ी देर में एक हिरनी आई तालाब में पानी पीने के लिए शिकारी तुरन्त अपने धनुष पर
तीर चढ़ायाI हिरनी शिकारी को देख ली, हिरनी निवेदन करके शिकारी से बोली मै सुबह से
भोजन के तलाश में निकली हूँ,मेरा बच्चा अभी बहुत छोटा है मेरा दूध पीता है वे भूख
से व्याकुल होगा,मुझे जाने दीजिए अपने बच्चे को दूध पिलाके मै आपके पास आ जाउंगीI शिकारी बोला अगर मै इस समय
तुम्हें जाने दिया तो तुम लौट के नही आओगी हिरनी शिकारी से बोली मै आप को वचन देती
हूँ अपने बच्चे को दूध पिलाके अपने बच्चे को अपने पति को सौप के आ जाउंगीI हिरनी
के निवेदन करने पर शिकारी हिरनी को पानी पी के जाने दिया I कुछ देर के बाद एक और हिरनी आई पानी पीने के
लिए शिकारी हिरनी को देखते ही धनुष पे तीर चढाया,हिरनी निवेदन करते हुए बोली मेरे
दो बच्चे है उनका भरण पोषण मै ही करती हूँ क्योंकी मेरे पति को बहुत पहले किसी शिकारी
ने मार दिया है I शिकारी
बोला अगर मै तुम्हें छोड़ दूंगा तो मेरे बीबी बच्चे भूख से तड़प के मर जायेगें हिरनी
बोली मै आपको वचन देती हूँ अपने बच्चों से मिलके उन्हें माँ का प्यार देके अपने
बच्चो को अपनी बहन के पास छोड़ के आ जाउंगी,शिकारी उसे भी पानी पीके जाने दिया I कुछ देर बाद एक हिरन पानी पीने
के लिए आया शिकारी धनुष पे तीर चढायाI हिरन निवेदन कर शिकारी से बोला मुझे मत
मारिये मेरे बीबी बच्चे अनाथ हो जायेगें,शिकारी बोला अगर हम तुम्हें नहीं मारेगें
तो मेरे बीबी बच्चे भूख से मर जायेगे इस लिए मुझे तुम्हें मारना ही पड़ेगा I हिरण बोला मरने से पहले मुझे
एक बार अपने बीबी बच्चो से मिल लेने दीजिये शिकारी बोला तुमसे पहले दो हिरनी और आई
थी वे भी ऐसे ही झूठ बोल के गयी थी और अभी तक वे दोनों आई नहीं मै इतना बड़ा मुर्ख
नहीं हु जो तीसरा भी शिकार छोड़ दू और मेरे बच्चे भूख से मर जाये हिरन बोला मै आपको
वचन देता हूँ अपने बीबी बच्चो को हिम्मत और अकेले रहने की ताकत दे कर आता हूँ I शिकारी हिरन को भी पानी पी कर
जाने दिया रात हो चुकी थी शिकारी तीनों को छोड़ के पछता रहा था और बेल के पेड़ पर
बैठे बैठे बेल के पत्ते तोड़ तोड़ के निचे
गिरा रहा था I और यहीं सोच
रहा था आज मेरे बीबी बच्चे भूखे रह गये शिकारी वेल के वृक्ष से पत्ते रात भर तोड़
तोड़ के नीचे गिराता रहा और सुबह हो गयी I हिरनी अपने बच्चे को दूध पिलाई और उसे जी भरके दुलार किया हिरनी
अपने पति हिरन से बोली शिकारी को मै वचन देके आई हूँ आज से बच्चे की जिम्मेदारी आप
को निभानी है I हिरन बोला
मै भी शिकारी को बचन देके आया हूँ तुम ऐसा करो अपने बच्चे को अपने बहन के पास छोड़
दोI उसी समय हिरनी की बहन रोते हुए हिरनी के पास आई और बोली बहन अपने बच्चे मै
आपको सौप के जा रहीं हूँ क्योकि मै शिकारी को बचन देके आई हूँ,हिरन बोला बच्चो की
देखभाल माँ से अच्छा कोई नहीं कर सकता इस लिए आप दोनों बच्चो के पास रहो मै शिकारी
के पास जा रहा हूँ I दोनों
हिरनी बोली अगर आज हम अपना बचन नहीं निभायेगे तो आज के बाद कोई भी शिकारी हमारे ऊपर
विश्वास नहीं करेगा इस लिये हम तीनों साथ में चलते है जब वे तीनों शिकारी के पास
जाने लगे तो उनके बच्चे रोने लगे और अपने माता पिता के पीछे पीछे आने लगे I शिकारी को लगा अब वे तीनों
नहीं आयेगें शिकारी मन ही मन अपने आप को कोस रहा था I तभी उसने देखा दोनों हिरनी और हिरन अपने बच्चो के
साथ आ रहे है I हिरन
शिकारी से बोला आपने हमारे उपर विश्वास किया इसके लिए सदा हम आपके आभारी रहेगे
आपके बीबी बच्चो का भूख हमारे शिकार से शांत हो इससे बड़ा पुण्य का काम हो ही नहीं
सकता शिकारी सोचने लगा ये जानवर होते हुए भी अपना वचन निभा रहें है और एक मै हूँ
जो मनुष्य होते हुए भी अच्छे कर्म नहीं कर रहा हूँi
शिकारी को ज्ञान कहाँ से मिला
शिकारी जिस बेल के वृक्ष पर चढ़ कर बैठा था उसके निचे शिवलिंग था ।शिकारी जितने बेल के पत्ते नीचे तोड़ के गिराया वे सब पत्ते शिवलिंग पे गिरे थे । जिससे भगवान शिवजी प्रसन्न होकर प्रगट हुए और शिकारी को राजा बना दिया भगवान शिवजी हिरन हिरनी से बोले अपना वचन निभाने के लिए अपने प्राणों की भी मोह नहीं किया,इस लिए तुम लोगों को स्वर्ग में स्थान मिलेगा तुम तीनों को दिव्य स्वरूप और मोक्ष प्राप्त होगा।
इस प्रकार शिकारी और हिरन हिरनी को मोक्ष प्राप्त
हुआ ।
Motivational and informative post-आध्यात्मिक ज्ञान
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति-काल रूप
ReplyDeleteGood post continue best mythological posts on neelam.info-William
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति, कर्म एवं धर्म दोनों का सामंजस्य ही जीवन को उत्तम दिशा देने के लिए जरूरी है-शिवदर्शन
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी-आधारशिला
ReplyDeleteश्री शिवाय नमस्तुभ्यं-शिव कुटीर
ReplyDeleteभगवान शंकर को विल्व पत्र,धतूरे के पुष्प अति प्रिय हैं |- ज्ञानप्रकाश
ReplyDeleteअत्यंत उत्तम शब्द एवं धारा पूर्ण लेख-कुटीर
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी एवं ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद -गंगा दर्शन
ReplyDeleteउत्तम -शिवाय
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ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति, कर्म एवं धर्म दोनों का सामंजस्य ही जीवन को उत्तम दिशा देने के लिए जरूरी है-शिवदर्शन
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति-काल रूप
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteशिकारी को ज्ञान कहाँ से मिला -उत्तम लेख
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी एवं ज्ञानवर्धक लेख
ReplyDeletenice post on neelam.info
ReplyDeleteधारा पूर्ण लेख
ReplyDeleteश्री शिवाय नमस्तुभ्यं-शिवकुंज
ReplyDeleteशिकारी और हिरन हिरनी को मोक्ष प्राप्त हुआ ।-उत्तम प्रस्तुति
ReplyDeleteश्री शिवाय नमस्तुभ्यं-शिवकुंज
ReplyDeleteअत्यंत उत्तम शब्द एवं धारा पूर्ण लेख-कुटीर
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