जामवंत और श्रीकृष्ण में युद्ध किस लिये हुआ......



जामवंत और श्रीकृष्ण में युद्ध किस लिये हुआ......

श्री कृष्ण को जब पता चला सत्राजित को सूर्य देव स्यमंतक मणि दिए है, श्री कृष्ण मन में विचार करने लगे अगर स्यमंतक मणि गलती से गलत हाथ में चला गया तो वह स्यमंतक मणि का गलत फायदा उठायेगा, इस लिए स्यमंतक मणि को सुरक्षित जगह पर रखना पड़ेगा स्यमंतक मणि प्रतिदिन आठ भर सोना देने वाली मणि थी यही सोच के श्री कृष्ण सत्राजित से अपनी इच्छा व्यक्त की स्यमंतक मणि प्राप्त करने की I सत्राजित स्यमंतक मणि श्री कृष्ण को देने से  इनकार कर दिए, स्यमंतक मणि सत्राजित अपने भाई प्रसेनजित को दे दी प्रसेनजित स्यमंतक मणि अपने गले में पहन लिएI स्यमंतक मणि पहनने के बाद प्रसेनजित जंगल में शिकार के लिए निकल पड़ेI जंगल में एक शेर प्रसेनजित को मार के स्यमंतक मणि ले लिया, शेर जंगल में मणि लेकर घूम रहा था जामवंत ने देखा शेर के पास मणि है, जामवंत शेर को मार के स्यमंतक मणि ले लिया प्रसेनजित कई दिनों के बाद भी जब घर नही लौटे तो सत्राजित को लगा मणि पाने के लिए श्री कृष्ण ने मेरे भाई का वध कर दिया  ये बात आग की तरह द्वारिका में फ़ैल गयी श्री कृष्ण खुद को निर्दोष सावित करने के लिए द्वारिका के लोगो को लेकर जंगल में गये जंगल में शेर से मारे हुए प्रसेनजित मिले,शेर के पंजे का निशान देखते हुए आगे बढ़े तो शेर मरा हुआ मिला शेर को भालू ने मारा भालू के पंजे का निशान देखते हुए आगे बढ़े तो एक गुफा मिला श्री कृष्ण गुफा के अंदर चले गये श्री कृष्ण के सारे साथी बाहर ही रह गये कई दिनों के बाद भी श्री कृष्ण बाहर नही आए गुफा के बाहर खड़े लोगो को लगा श्री कृष्ण की गुफा में मृत्यु हो गयी,दुखी मन से वे लोग द्वारिका आ गये गुफा में श्री कृष्ण ने देखा स्यमंतक मणि हाथ में लेकर एक कन्या खेल रही है श्री कृष्ण को देखते ही कन्या बोली पिताजी गुफा के अंदर कोई आया,पुत्री की आवाज सुन के जामवंत आए श्री कृष्ण जामवंत से बोले स्यमंतक मणि मुझे दे दो जामवंत मणि देने से इनकार कर दिए श्री कृष्ण और जामवंत में युद्ध आरंभ हो गया ये युद्ध इक्कीस दिन चला I जामवंत श्री कृष्ण को हरा नहीं पाए तब जामवंत को याद आया त्रेता युग में श्री राम अवतार के आलावा इस पृथ्वी पर कोई ऐसा नही है जो मुझे हरा सके, प्रभु अवतार पृथ्वी पर ले लिए है,जामवंत बोले जय श्रीरामI श्री कृष्ण जामवंत से बोले मै ही तुम्हारा प्रभु श्रीराम हूँ जामवंत श्रीकृष्ण से बोले प्रभु मुझे श्रीराम रूप का दर्शन दे दीजिए श्रीकृष्ण ने जामवंत को श्रीराम अवतार के रूप में दर्शन दिया| जामवंत श्रीराम का दर्शन पाने के बाद अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्री कृष्ण से कर दिए और स्यमंतक मणि श्री कृष्ण को दे दिए जामवंत से स्यमंतक मणि लेकर श्री कृष्ण सत्राजित के पास गये और स्यमंतक मणि सत्राजित को दी और खुद को निर्दोष सावित किया, सत्राजित अपनी गलती सुधारने के लिए अपनी पुत्री सत्यभामा  का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया  I  

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