शनि देव की पत्नी ने शनि देव को क्यों शाप दिया एक कथा के अनुसार
के अनुसार शनि देव श्रीकृष्ण भगवान के परम भक्त थे बचपन से ही उनकी पूजा आराधना करते थे और श्रीकृष्ण भगवान की भक्ति में ही मगन रहा करते थे सूर्य देव ने शनि देव का विवाह चित्ररथ की पुत्री के साथ कर दिया एक बार शनि देव की पत्नी ने शनि देव से कहा मेरी ये इच्छा है की मेरा एक पूत्र हो, शनि देव ने अपनी पत्नी को पुत्र वर देने का बचन दिया और अपनी पत्नी से कहा ऋतू स्नान करके मेरे पास आओ उनकी पत्नी स्नान करने चली गयी और शनि देव भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करने लगे और जब उनकी पत्नी ऋतू स्नान करके आई तो देखा की वे पूजा कर रहे है शनि देव की पत्नी ने पूजा आराधना समाप्त होने की प्रतीक्षा करने लगी शनि देव पूजा आराधना में इतना मग्न हो गये कि अपनी पत्नी का ध्यान ही नही आया और जब पूजा करके वे बाहर आये तब ऋतू काल समाप्त हो चूका था ऋतू काल के निष्फल होने पर शनि देव की पत्नी को क्रोध आ गया और उन्होंने शनि देव को शाप देते हुए कहा आज से तुम जिसे भी देख लोगे उसके सुखो का उसी समय नाश हो जायेगा और वह दू;खी जीवन व्यतीत करेगा शनि देव बोले हे देवी मै तो भगवान श्रीकृष्ण से आपकी मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त कर रहा था शनि देव की बाते सुन हेतु उनकी पत्नी को पश्चाताप हुआ शनि देव ने अपनी पत्नी से कहा हे देवी आपकी शाप की वजह से मुझे अपना शीश झुका करके जीवन व्यतीत करना पड़ेगा जिससे किसी निर्दोष पर मेरी क्रूर दृष्टि न पड़े और उसका अहित न हो जाय.
शनि देव
की दृष्टि जब भगवान शंकर पर पड़ी.....
एक बार शिव लोक में श्री गणेश के जन्म दिवस पर एक आयोजन किया गया और उसमे सभी लोगो को बुलाया गया, सभी देवता ऋषि, मुनि बालक श्री गणेश को भेट और आशीर्वाद दे रहे थे लेकिन शनि देव एक ओर अकेले सर झुकाए खड़े थे शिव जी की नजर जब उन पर पड़ी तो वे शनि देव के पास गये और कहा क्या बात है क्यों परेशान हो शनि देव ने कहा प्रभु मै ये सोच के परेशान हु कल प्रात;काल से मेरी कुदृष्टि आप पर पड़ेगी इस लिए मै व्यथित हु भगवान शिव बोले तुम्हारी दृष्टि सिर्फ मनुष्य और ऋषि मुनियों का ही अहित कर सकती है देवताओ का इस पर कोई असर नही होगा आप निश्चिंत रहे, शनि देव ने कहा प्रभु हमारी दृष्टि किसी से भेद भाव नही करती मेरे लिए सभी एक समान है और हे प्रभु आप ने ही मुझे आशीर्वाद दिया है कि देवता,ऋषि-मुनि,मनुष्य आदि मुझसे समान रूप से भयभीत रहेगे, इतना कहके शनि देव वहा से चले गये शिव जी सोचने लगे शनि देव की दृष्टि मेरा अहित करेगी, शनि देव की दृष्टि से बचने के लिए मै शिव लोक से गायब हो जाता हु और मै उनके क्रूर दृष्टि से बच जाऊंगा और शिव जी शिव लोक से अंतर्ध्यान हो गये शनि देव जब शिव लोक पहुचे तो माता पार्वती ने बताया प्रभु शिव लोक से अंतर्ध्यान हो गये है शनि देव शिव जी के आने की प्रतीक्षा करने लगे शिव जी जंगल में जाकर प्रगट हुए और जंगल में उन्होंने हाथियों के समूह को देखा शिव जी भी हाथी का रूप धारण करके हाथी के समूह में विचरण करने लगे शिव जी सारा दिन हाथी बन के घास खाते रहे और मुस्कुराते रहे कि आज शनि देव का वचन व्यर्थ चला गया जब शाम होने लगी तब शिव जी अपने रूप में प्रगट हो गये और कैलाश की ओर चल पड़े कैलाश पहुचते ही उन्होंने शनि देव को देखा शनि देव ने महादेव को प्रणाम किया शनि देव को आशीर्वाद देने के बाद शिव जी मुस्कुराते हुए बोले शनि देव आज आपकी बचन मिथ्या हो गयी, आपकी क्रूर दृष्टि मेरा अहित नही कर पाई आज ये सिद्ध हो गया, तुम्हारी क्रूर दृष्टि त्रिदेवो का अहित नही कर सकती शनि देव बोले प्रभु आपने कौन शा उपाय किया था की आप मेरे प्रकोप से बच गये शिव जी ने शनि देव को सारी बाते बताई जंगल में हाथी बनकर सारा दिन घास खाया और सारा दिन जंगल में ही गुजरा शनि देव हाथ जोड़ कर बोले हे भगवन मेरी क्रूर दृष्टि के कारण ही आपको हाथी बन कर वन में कष्ट उठाना पड़ा, मेरी क्रूर दृष्टि का यही फल आपको को प्राप्त होना था भगवान शिव जी बोले हे शनि देव तुम्हारे प्रकोप से मै भी नही बच पाया शनि देव से शिव जी ने कहा तुम्हारी दृष्टि केवल पाप करने वालो को ही बुरे फल प्रदान करती है मैंने ऐसा कौन सा पाप किया था जिसका यह फल मुझे भुगतना पड़ा, भगवान शिव जी से शनि देव बोले हे प्रभु माता सती की मृत्यु विधि के विधान के अनुसार तय थी किन्तु आप क्रोध में आकर यज्ञ वेदी में अनेक निर्दोस प्राणियों की तरह कीजान लेली यही आपका पाप था इस लिए आपको ये कष्ट मिला भगवान शिव शनि देव के निष्पक्ष व्यवहार को देख कर अत्यंत प्रसन्न हुए और शनि देव को सदा निष्पक्ष रहने का आशीर्वाद दिया !
शनि देव की दृष्टि स्वयं शनि देव पर पड़ी.....
धार्मिक ग्रंथो और पुराणों के अनुसार शनि देव ऐसे न्यायप्रिय और निष्पक्ष ग्रह है जिन्होंने खुद अपने कर्म के फल स्वीकार किया, जब रावण पर शनि दशा आरम्भ होनी थी उस समय शनि देव लंका जा रहे थे तो रास्ते में विशाल समुंद्र पार करना पड़ा समुद्र पार करते समय उन्होंने समुद्र में अपनी परछाई देखी परछाई देखते ही शनि देव पर अपनी ही दृष्टि का कुप्रभाव हो गया और जब शनि देव लंका पहुचे तो रावण ने उन्हें बंदी बना लिया और अग्नि के उपर उलटा लटका दिया इस प्रकार शनि देव ने अपने कर्मो का फल निष्पक्ष रूप से प्राप्त किया और जब हनुमान जी लंका को जला रहे थे लंका दहन के समय हनुमान जी को शनि देव उलटे लटके मिले तब हनुमान जी ने शनि देव को रावण की कैद से मुक्त करवाया और उनकी शनि दशा को समाप्त किया और तब शनि देव ने हनुमान जी को बरदान देते हुए कहा जो मनुष्य तुम्हारा स्मरण करेगा उस पर मेरी क्रूर दृष्टि कभी नही पड़ेगी जिस प्रकार तुमने मेरे दुःख को दूर किया है उसी प्रकार मै भी तुम्हारे भक्तो के सभी दु;खो को समाप्त कर मनवांछित फल प्रदान करूँगा और जब रावण के उपर शनि दशा लगा तो रावण युद्ध में श्री राम के हाथो पराजित होकर मृत्यु को प्राप्त हुआ!
ज्ञान वर्धक
ReplyDeleteJai Shani dev
ReplyDeleteउत्तम
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteJai Shani Dev🙏🙏
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ReplyDelete👍
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteजय शनिदेव। 🙏
ReplyDeleteJai Shani maharaj
ReplyDeleteKatha prerak hai
ReplyDeleteJay Shani dev
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteJay Shani dev 🌹🙏🙏🌹
ReplyDeleteJai Shani maharaj
ReplyDelete,
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteYou have given very good knowledge, about Shani Dev Maharaj, Jai Ho to Shani Dev Maharaj
ReplyDeleteGood
ReplyDelete🙏🙏🙏
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ReplyDeleteshani dev ki jai ho
ReplyDeleteshnidev ki jai ho
ReplyDeleteShnidev ki Kai Ho
ReplyDeleteJai Shani Dev
ReplyDeleteAdbhut !
ReplyDeleteJay 👍👍👍
ReplyDeleteJay dev
ReplyDeleteJai shanidev 🙏
ReplyDeleteShanidev 🙏
ReplyDeleteJai Ho to Shani Dev Maharaj🙏
ReplyDeleteJai Shri Shani Devi
ReplyDeleteJay Shani dev 🌹🙏🙏🌹
ReplyDeleteJai shani dev ki
ReplyDeleteGood 🙏🙏
ReplyDeleteNice blog
ReplyDeleteJay shani dev
ReplyDeleteચોક્કસ અભિવ્યક્તિ
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति
ReplyDeletevery good knowledge, about Shani Dev Maharaj 🙏
ReplyDeleteJay Shani dev 🌹🙏🙏🌹
ReplyDeleteउत्तम
ReplyDeleteJai shani dev
ReplyDeleteJai shani dev
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteशनिदेव की कृपा सब पर बनी रहे
ReplyDeleteJai Shani Dev
ReplyDeleteउत्तम एवं प्रभावशाली रचना-आधार शिला
ReplyDeleteजय शनिदेव-आधार शिला
ReplyDeleteउत्तम
ReplyDeleteNice post
ReplyDeleteThank you for nice comment🙏🙏 neelam.info
DeleteAti sundar
ReplyDeleteजय शनिदेव
ReplyDeleteशनि देव की दृष्टि स्वयं शनि देव पर पड़ी.....जय शनि देव
ReplyDeleteजय शनिदेव-आधार शिला
ReplyDeleteચોક્કસ અભિવ્યક્તિ
ReplyDeleteચોક્કસ અભિવ્યક્તિ
ReplyDeleteजय शनिदेव-आधार शिला
ReplyDeleteशनि देव ने हनुमान जी को बरदान देते हुए कहा जो मनुष्य तुम्हारा स्मरण करेगा उस पर मेरी क्रूर दृष्टि कभी नही पड़ेगी जिस प्रकार तुमने मेरे दुःख को दूर किया है उसी प्रकार मै भी तुम्हारे भक्तो के सभी दु;खो को समाप्त कर मनवांछित फल प्रदान करूँगा
ReplyDeleteJai Shani Dev
ReplyDeleteजय शनिदेव। 🙏
ReplyDeleteजय शनिदेव-आधार शिला
ReplyDeleteNice post
ReplyDeletevery good knowledge, about Shani Dev Maharaj 🙏
ReplyDeleteउत्तम एवं प्रभावशाली रचना-आधार शिला
ReplyDeleteशनि देव ने हनुमान जी को बरदान देते हुए कहा जो मनुष्य तुम्हारा स्मरण करेगा उस पर मेरी क्रूर दृष्टि कभी नही पड़ेगी-शनि धाम
ReplyDeleteजय शनिदेव
ReplyDeleteजय शनिदेव। 🙏
ReplyDeleteउत्तम एवं प्रभावशाली रचना-
ReplyDeleteशनि देव की दृष्टि स्वयं शनि देव पर पड़ी-शनि धाम
ReplyDeleteशनि देव की दृष्टि स्वयं शनि देव पर पड़ी.....जय शनि देव
ReplyDeleteચોક્કસ અભિવ્યક્તિ
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