सृष्टि – निर्माण और उत्पति एक कथा के अनुसार

 

सृष्टि – निर्माण और उत्पति एक कथा के अनुसार

सृष्टि निर्माण और उत्पति के बारे में भिन्य-भिन्य धर्म ग्रंथो में कथाए पढ़ने को मिलती है एक कथा के अनुसार परब्रम्हा के श्रीविष्णु में अवतरित होने के पश्चात जब सर्वप्रथम श्रीविष्णु ने नेत्र खोले तो उनके मन में सृष्टि निर्माण करने का बिचार आया, सृष्टि निर्माण का बीज उनकी नाभि से कमल दल के रूप में फूटा जिस पर श्रृष्टि के रचनाकार ब्रम्हाजी बिराजमान थे ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना करने के लिए चारों दिशाओं में देखा इस प्रकार उनके चार मुँह उत्पन्न हो गए अब वे बिना मुँह मोड़े ही चारों दिशाओं को देख सकते थे| ब्रम्हाजी चारों दिशाओं को देखना शुरु किये ब्रम्हाजी को चारों दिशाओं में कुछ भी नही दिखाई दिया जिससे वे सृष्टि का निर्माण कर सके ब्रम्हाजी आँख बंद करके विचार करने लगे की सृष्टि का निर्माण  कैसे करु लेकिन ब्रम्हाजी को कोई समाधान नजर नहीं आया तब ब्रम्हाजी ने श्रीविष्णु का स्मरण किया ब्रम्हाजी ने भगवान विष्णु से कहा मेरी समस्या का समाधान बताइए श्रीविष्णु ब्रम्हा जी के कान में बोले,तीनों संसार का निर्माण मेरी रचनात्मक शक्ति मेरी माया से करो| मेरी माया से रचित संसार में जीवन और मृत्यु का चक्र आरंभ करो ब्रम्हाजी ने नेत्र खोले स्तब्ध रह गए श्रीविष्णु विश्वरूप में उपस्थित थे, ब्रम्हाजी ने देखा सम्पूर्ण ब्रम्हांड भगवान के शरीर में समाया था,एक विश्वआत्मा, दो लिंग [स्त्री –पुरुष],समय [सुबह, दोपहर, शाम], वेद [ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, सामवेद ], पंचतत्व [पृथ्वी, आकाश,अग्नि, जल, वायु,] दसों दिशाएं नौ भावनाएं, बारह राशिचक्र,चौसठ कलाएँ बहत्तर व्यवसाय, एक सौ आठ दैवी भावनाएँ आदि उनका उपरी शरीर आकाश था और निचला शरीर पाताल उनकी आँखे दैवी तेज से बनी थी उनके पेट में समुद्र स्थित थे नदियाँ उनकी नसों में से होकर बहती थी दाएँ नासा छिद्र से वह जीवन प्रदान करते थे,जबकि बाएँ से मृत्यु अपने में समाहित करते थे श्रीविष्णु जी ब्रम्हा जी से बोले हे ब्रम्हा मेरे विराट रूप को देखकर आश्चर्य मत करो वह सृष्टि,जिसकी तुम्हें रचना करनी है मुझमें ही समाहित है| श्रीविष्णु जी ने ब्रम्हाजी से कहा हे ब्रम्हा अब तुम सृष्टि का निर्माण करो|

Comments

  1. जय हरी बोलो

    ReplyDelete
  2. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

    ReplyDelete
  3. Shrivishnu bhgwan ki jai ho🙏🙏

    ReplyDelete
  4. जय श्री विष्णु भगवान।

    ReplyDelete
  5. hari narayan ki jai ho

    ReplyDelete
  6. Good 🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  7. Jai hari 🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  8. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

    ReplyDelete
  9. ॐ विष्णवे नम:

    ReplyDelete
  10. ॐ भगवते वासुदेवाय नम

    ReplyDelete
  11. ખૂબ જ રસપ્રદ માહિતી

    ReplyDelete
  12. રસપ્રદ માહિતી

    ReplyDelete
  13. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय-आधारशिला

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

महर्षि दुर्वासा के ललाट से भष्म के गिरने से कुंभीपाक नरक स्वर्ग कैसे हो गया

भगवान शंकर की माया neelam.info

देवी षष्ठी ने राजा के मृत बालक को पुनर्जीवित कर दिया