भगवान श्री गणेश जी का जन्म कैसे हुआ


 भगवान श्री गणेश जी का जन्म कैसे हुआ

माँ पार्वती स्नान करने के लिए गयी उसी समय स्नानागार में ही भगवान श्री गणेश जी की संरचना की, माता पार्वती ने श्री गणेश जी को आदेश दिया जब तक मै स्नान कर रही हूँ तब तक किसी को भी अन्दर प्रवेश करने मत देना माता का आदेश पाकर भगवान श्री गणेश जी द्वार पर पहरेदारी कर रहे थे उसी समय भगवान शंकर जी आये और श्री गणेशजी ने घर में प्रवेश करने से मना किया भगवान शंकर ने बालक समझ कर श्री गणेश जी को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन गणेश जी भगवान शंकर की एक भी बात नही मानी भगवान श्री गणेशजी भगवान शंकर जी से कहा माता का आदेश है किसी को घर के अन्दर आने मत देना मै अपनी माता के दिए हुए आदेश का पालन कर रहा हूँ, भगवान शंकरजी ने श्री गणेश जी से कहा ये मेरा घर है मुझे अन्दर जाने दो लेकिन श्री गणेश जी ने भगवान शंकर  की एक भी बात नहीं मानी भगवान शंकर को क्रोध आ गया श्री  गणेश जी का सर शरीर से अलग कर दिया माता पार्वती जब स्नान कर के आयी उन्होंने देखा श्रीगणेश जी का  सर सरीर से अलग है और उनका पुत्र श्री गणेश भूमि पर निर्जीव पड़ा है माँ पार्वती दुःख से ब्याकुल हो गयी भगवान शंकर को अपनी गलती का अहसास हुआ तो भगवान शंकर ने हाथी के बच्चे का सर श्री  गणेश जी को लगा दिया और श्री गणेश जी  जीवित हो गये,श्री गणेश भगवान  देवो के देव महादेव भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र  है.हम भगवान श्री गणेश की पूजा सबसे पहले क्यों करते हैभगवान श्री गणेश  की पूजा सबसे पहले हम  इस लिये करते है कि भगवान शंकर ने श्री गणेश जी को ये बरदान दिया है की आपकी पूजा सबसे पहले की जायेगी इस लिए श्री गणेश जी की पूजा सबसे पहले करते है श्री गणेश भगवान बुधि,सुख,समृधि और सफलता के देवता माने जाते है जब हम कोई नयी शुरुआत करते है या कोई नया काम करते है तो हम सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा करते है हमारे जीवन में जितने भी दुख दर्द बिध्न बाधाएँ आते है श्री गणेश भगवान उन सबको दूर करते है इस लिए हम बिध्न हरता दुःख हरता श्री गणेश भगवान कहते हैगणेश भगवान के शारीरिक रचना में भी गहरा अर्थ निहित हैश्री गणेश भगवान हर युग में अलग अलग अवतार लिया है श्री गणेश जी को प्रणव [ॐ] कहा गया है श्री श्री गणेश भगवान चारो दिशाओ में सर्वव्यापकता के प्रतीक है.श्री गणेश भगवान की चार भुजाये है उनके उदर में समस्त सृष्टि बिचरती है उनके बड़े कान वे लंबोदर है छोटी पैनी आखें सूक्ष्म तीक्ष्ण दृष्टी के सूचक है लंबी नाक उनका सूड महाबुधित्व का प्रतीक है.श्री गणेश भगवान को हम बहुत नाम से याद करते हैगणेश्वर,गणधिपती,शुभकर्ता,सुखकर्ता,बुधिपति,गणपति,विनायक,गजानन,श्रीगणेश,गौरीनंदन,गौरीपुत्र.सिद्धिविनायक,अष्टविनायक श्री गणेश भगवान के अन्य नाम है.श्री गणेश भगवान का विवाहशास्त्रों के अनुसार श्री गणेश भगवान का  विवाह भी हुआ था उनकी दो पत्नी का उल्लेख रिद्धि और सिद्धि उनके दो पुत्र शुभ और लाभ और एक पुत्री माँ संतोषी देवी है श्री गणेश भगवान की मूर्ति हम लोग जहा भी देखेगे वहा शुभ,लाभ ये दो सब्द श्री गणेश भगवान के साथ दिखेगेशुभ बड़ा बेटा ‘शुभता का प्रतीक है एवं लाभ छोटा बेटा लाभ का प्रतीक है ] [ पुत्री ] माँ संतोषी संतुष्टि की देवी है.

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  1. Very knowledgeable

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  2. Very nice and knowledgeable comment .Giving knowledge to the young generation.🙏🙏

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  3. Amazing and knowledgeable for kids 🙏🙏

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  4. Jai shri Ganesh baghwan 🙏🙏

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  5. 'ॐ गं गणपतये नमः

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  6. श्री गणेशाय नमः।

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  7. Shri gnesh bhgwan ki jai ho🙏

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  8. शुभकर्ता

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  9. जय श्री गणेश

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  10. Nice post with knowledgeable information 👍

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  11. Perfect post-james

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  12. Jai Shri Ganesh🙏🌺

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