भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार
भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार
पौराणिक कथा के अनुसार सत्यव्रत नामक
एक अत्यंत दयालु, धार्मिक एवं क्षमाशील राजा थे, भगवान श्रीविष्णु ने सप्त-ऋषियो को
और सत्यव्रत को एक साथ ब्रम्ह-ज्ञान का उपदेश दिया था | सत्यव्रत भगवान श्रीविष्णु
के उपदेश से प्रभावित होकर अपना राजपाट सब त्याग दिए और कठोर तप आरंभ कर दिए
सत्यव्रत दस हजार वर्षो तक कठोर तपस्या किये सत्यव्रत की तपस्या से प्रसन्न होकर
भगवान श्रीविष्णु ने सत्यव्रत को दर्शन दिया और कहा हे राजन मै तुम्हारी कठोर
तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हूँ,‘’वर मागों, सत्यव्रत भगवान श्रीविष्णु के चरणों में सिर झुकाते हुये बोले मै सारे जीव-जंतुओं की रक्षा करने में समर्थ हो सकूँ श्रीविष्णु एवमस्तु कहकर
अंतर्ध्यान हो गये | राजा सत्यव्रत तपस्वियों जैसा जीवन बिताने लगे | दिन-महीने- वर्ष व्यतीत होते रहे एक
दिन सत्यव्रत नदी में स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित कर रहे थे की
उनके हाथो में एक छोटी सी मछली आ गई | सत्यव्रत जैसे ही मछली को पानी में वापस
डालने लगे,वह मछली दु;खी होकर बोली, ‘’हे दयालु राजन | मुझे नदी में मत छोडिये |
यहाँ के बड़े जलचर मुझे जीने नहीं देगें | सत्यव्रत ने अपने कमंडल में पानी भरा और
उस मछली को अपने कमंडल में डाल लिया और अपनी कुटिया पर लौट आए | दुसरे दिन
सत्यव्रत ने देखा वह मछली काफी बड़ी हो गयी है और वह मछली कमंडल से आधी बाहर निकली
हुई है | सत्यव्रत ने एक मटके में पानी भरा और मछली को मटके में डाल दिया थोड़ी देर
में सत्यव्रत ने देखा मछली और बड़ी हो गयी है सत्यव्रत ने मछली को एक छोटे से तालाब
में छोड़ दिया तालाब में छोड़ते ही मछली बहुत बड़ी हो गईं वह मछली सत्यव्रत से बोली
हे राजन आप मुझे बड़ी झील या नदी में छोड़ दीजिये क्यों की इस तालाब में मै अधिक देर
तक जीवित नहीं रह सकूँगी’’ सत्यव्रत उस मछली को एक-से एक बड़ी झीलों और नदियों में
छोड़ते रहे लेकिन उस मछली का आकार निरंतर बढ़ता ही रहा अंत में सत्यव्रत ने उस मछली
को समुद्र में छोड़ने के लिए ले गये सत्यव्रत ने ज्यों ही मछली को समुंद्र में छोड़ा
मछली दुखी हो कर बोली, हे राजन आप ने तो मुझे फिर से मृत्यु के हवाले कर दिया यहाँ
तो और बड़े बड़े जलचर है यहाँ तो मै एक भी पल जीवित नही रह पाऊँगी, हे राजन मुझे
समुद्र में छोड़ के मत जाइये आश्चर्य से भरे सत्यव्रत मछली से बोले, ‘हे मत्स्य देव
आप कौन है ?मैंने अब तक ऐसी कोई मछली नहीं देखी, जो इतनी तेजी से बढ़ती हो |आप
अवश्य ही कोई देव है | कृपया मेरी और परीक्षा मत लीजिए |
सत्यव्रत की यह याचना सुनकर
श्रीविष्णु अपने चतुर्भुज दिव्य रूप में प्रगट हुए और बोले, ‘भूल गये राजन आपने
प्रलय-काल में दुनिया के जीवों को बचाने का माध्यम बनने का वर माँगा था | हे राजन
आपके द्वारा ही सृष्टि का अंश इस पृथ्वी पर जीवित रहेगा | प्रलय अब सात दिन दूर है
| आपको सप्त-ऋषियों और भूमंडल के समस्त जीवों,और अन्य,औषधियों आदि को सूक्ष्म रूप में लेकर
भव-सागर के किनारे खड़ी नौका में सवार होना है | हे राजन आपकी रक्षा के लिए वहाँ मै
स्वयं इसी रूप में प्रगट होऊंगा | सातवें दिन भीषण तूफान
आया चारों तरफ हाहाकार मच गया सभी जीव-जन्तु भयभीत होकर
सभी दिशाओं में भागनें लगे| प्रलय का वेग इतना प्रचंड था की समुद्र की लहरे आकाश
की उचाई तक उछाल भरने लगी | प्रलय का तांडव आरंभ हो गया था| भगवान
विष्णु के आदेश के अनुसार सत्यव्रत ने सप्त ऋषियों, को लिया भूमंडल के अनेक जीवों
को लिया और अन्य, औषधियों आदि के सूक्ष्म रूपों के साथ नौका पे सवार हो गये भवसागर
में लहरे इतनी विकराल थी की नौका भवसागर के लहरों में तिनके के समान झूल रहा था
जैसे लग रहा था नौका अभी डूब जायेगां सत्यव्रत ने भगवान विष्णु का स्मरण किया और
रक्षा करने की प्रार्थना की सत्यव्रत की और सभी जीव-जंतुओ की प्रार्थना सुनकर
श्रीविष्णु भगवान उनकी रक्षा के लिए मत्स्य के रूप में प्रगट हुए भगवान विष्णु के
साथ साथ नागराज वासुकी भी नौका पे आ गये श्रीविष्णु के आदेश के अनुसार नागराज वासुकी
को रस्सी की भांति और नौका को मत्स्यावतार,की नाक पर उगे सींग से बांध दिया गया इस
प्रकार प्रलयकाल के दौरान वह नौका भगवान विष्णु की कृपा से भवसागर में सुरक्षित
विचरण करती रही प्रलय का वेग खत्म हो गया प्रलयकाल के उपरांत धरती पर नया कल्प
आरंभ हुआ चारों तरफ फिर से सृष्टि का विकास आरंभ हो गया पेड़ पौधे फिर से लहराने
लगे श्रीविष्णु की कृपा से सभी जीव नौका से उतरकर धरती पर आ गये इस कल्प में राजा
सत्यव्रत वैवस्वत मनु कहलाये(www.neelam.info)हम सब उन्ही की सन्तान है समस्त
सृष्टि की प्रलय से रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया अपने
भक्तों के लिए भगवान श्रीविष्णु कोई भी रूप ग्रहण करने से नही हिचकते| श्रीविष्णु
का मत्स्य अवतार इसी बात का प्रमाण है|
Vishnu bhgwan sbki rksha kre 🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai Hari Aum
ReplyDeleteऊॅ हरी
ReplyDeleteॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ReplyDeleteऊँ जय जगदीश हरे
ReplyDeleteVery Intresting
ReplyDeleteKnowledgeable
ReplyDeleteom vasudevaya namah
ReplyDeleteNice storyline
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजय जगदीश
ReplyDeleteGod Vishnu 🙏
ReplyDeleteGod give your blessings 🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteAtisundar
ReplyDeleteAtisundar
ReplyDeleteज्ञान वर्धक
ReplyDeleteजय श्री वासुदेव। 🙏
ReplyDeleteदिव्य कथा
ReplyDeleteसादर प्रणाम
ReplyDeleteJay Shri Hari 🌹🌹🙏
ReplyDeleteJai jagdish
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteहरि ऊँ नारायण
ReplyDeleteJai shri Vishnu
ReplyDeleteJai jagdish hare
ReplyDeleteAti sunder
ReplyDelete👋
Jai jagdish
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteऊॅ
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteVery nice blog
ReplyDeleteJai shree hari
ReplyDeleteAti Sundar 🙏👌
ReplyDeleteHari om
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGood Blog
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteBeautiful Storyline
ReplyDeleteKnowledgeable & Intresting
ReplyDeleteShri Vishnu bhagwan ki Jay
ReplyDeleteहरि ऊँ नारायण 🙏
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteउत्तम
ReplyDeleteNice job
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice blog
ReplyDeleteज्ञान वर्धक
ReplyDeleteKnowledgeable text
ReplyDeleteऊॅ हरी
ReplyDeleteVery Intresting
ReplyDeleteजय श्री हरि
ReplyDeletePerfect
ReplyDeleteNice storyline
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice storyline
ReplyDeleteसुन्दर रचना-आधारशिला
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति-आधारशिला
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteSuppb knowledgeable
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery powerful and knowledgeable post on neelam.info. best wishes find a nice and knowledgeable post A🙏george
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी एवं ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद -गंगा दर्शन
ReplyDeleteVery powerful and knowledgeable post on neelam.info. best wishes- Neelkamal
ReplyDeleteKnowledgeable text note-Udbhav
ReplyDeleteMotivational and informative post-आध्यात्मिक ज्ञान
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