नव दुर्गा का दूसरा स्वरूप माता ब्रम्हाचारिणी के रूप में विख्यात है |www.neelam.info
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नवरात्रि के दुसरे दिन माता ब्रम्हचारिणी की पूजा की जाती है, माता ब्रम्हचारिणी की उपासना से भक्तों में तप,त्याग,वैराग्य,सदाचार,संयम,और उन्हें सर्वत्र सिद्धि एवं विजय की प्राप्ति होती है|
पुराणों और धार्मिक ग्रंथो में माता व्रम्हाचारिणी की उत्पत्ति की कथा
दक्ष प्रजापति की यज्ञ वेदी पर प्राण त्यागने के बाद देवी सती ने पर्वतराज हिमालय की पत्नी मैना के गर्भ से पुन;जन्म लिया कन्या के शुभ लक्षणों को देखते हुए उसका नाम पार्वती रखा गया| जब पार्वती ने युवा अवस्था में प्रवेश किया तो एक दिन देवर्षि नारद घूमते-घूमते पर्वतराज हिमालय के यहाँ आ पहुचें | देवर्षि नारद का पर्वतराज हिमालय ने अतिथि-सत्कार किया और पार्वती का हाथ देखकर उसका भविष्य बताने का आग्रह किया|
देवी पार्वती को देखते ही देवर्षि नारद ने आसन से उठकर उन्हें प्रणाम किया देवर्षि नारद को प्रणाम करते हुए देख पर्वतराज हिमालय और मैना आश्चर्यचकित रह गये| और देवर्षि नारद से बोले हे,ऋषिवर मेरी पुत्री पार्वती को प्रणाम क्यों कर रहें हैं| नारदजी हँसते हुए बोले, हे पर्वतराज | आपकी ये कन्या पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी माता सती थी | अपने पिता दक्ष प्रजापति द्वारा पति का अपमान किये जाने पर यज्ञ वेदी पर ही प्राणों का त्याग कर दिया था |
अब उन्होंने देवी पार्वती के रूप में आपके घर में पुन: आपके घर में पुनर्जन्म लिया है| इस लिए मैंने इन्हें प्रणाम किया | इस जन्म में भी भगवान शिव की पत्नी बनने का गौरव प्राप्त करेगी| देवर्षि नारद की बातें सुनकर देवी पार्वती नारदजी से बोली हे ऋषिवर शिव को पति रूप में पाने के लिए उपाय बताइए नारदजी ने देवी पार्वती को तप द्वारा शिवजी को प्राप्त करने का उपदेश दिया|
भगवान शिवजी
को पति रूप में पाने के लिए देवी पार्वती सभी राजसी सुखों का त्याग कर दिया| और
कठोर तपस्या आरम्भ कर दी |१,००० वर्ष तक कंद कंद-मूल खाकर रही| ३,००० वर्ष तक
बेलपत्रो को खाकर वे तपस्या में लीन रहीं| अनेक वर्षो तक देवी पार्वती निर्जल और
निराहार रहते हुए| तपस्या की वर्षा, आंधी,और धूप में भयानक कष्ट सहते हुए | देवी
पार्वती तपस्या करती रहीं|
कठोर तपस्या से देवी पार्वती की काया एकदम क्षीण हो गयी| |उनकी इस कठोर तपस्या से देवी पार्वती की काया एकदम क्षीण हो गयी | देवी पार्वती के कठीन तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया|
परमपिता ब्रम्हाजी ने देवी पार्वती को दर्शन दिए | और बोले हे देवी पार्वती तुम्हारी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी|
ब्रम्हाजी ने देवी पार्वती का सौन्दर्य उन्हें पुन: प्रदान कर दिया|
इसके बाद ब्रम्हाजी ने देवी पार्वती का सौन्दर्य उन्हें पुन:प्रदान कर दिया, ब्रम्हाजी वरदान देते हुए बोले हे पार्वती भगवान शिव तुम्हें पति रूप में अवश्य प्राप्त होगें |
तुम्हारी कठोर तपस्या के कारण सृष्टी में तुम्हें ब्रम्हाचारिणी अर्थात तप का आचरण करनेवाली कहा जाएगा | इस प्रकार देवी पार्वती को अपने तप के बल से भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए| और वे संसार में ब्रम्हाचारिणी नाम से विख्यात हुई |नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप माता ब्रम्हचारिणी के रूप में विख्यात है|
श्वेत वस्त्र धारण करने वाली माँ ब्रम्हचारिणी के एक हाथ में जपमाला और दुसरे हाथ में कमंडल सुशोभित होता हैं|


जय माँ 🙏
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ReplyDeleteजय माता दी 🌺🌺
ReplyDeleteनव दुर्गा का दूसरा स्वरूप माता ब्रम्हाचारिणी के रूप में विख्यात है-नवरंग
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ReplyDeleteतुम्हारी कठोर तपस्या के कारण सृष्टी में तुम्हें ब्रम्हाचारिणी अर्थात तप का आचरण करनेवाली कहा जाएगा |-कुटीर
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ReplyDeleteकठोर तपस्या से देवी पार्वती की काया एकदम क्षीण हो गयी|-उत्तम-आधारशिला
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ReplyDeleteब्रम्हाजी ने देवी पार्वती का सौन्दर्य उन्हें पुन: प्रदान कर दिया|-ज्ञानवर्धक
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श्वेत वस्त्र धारण करने वाली माँ ब्रम्हचारिणी के एक हाथ में जपमाला और दुसरे हाथ में कमंडल सुशोभित होता हैं-उत्तम प्रस्तुति के लिए आभार
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ReplyDeleteकठोर तपस्या से देवी पार्वती की काया एकदम क्षीण हो गयी-उत्तम रचना
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ReplyDeleteब्रम्हाजी ने देवी पार्वती का सौन्दर्य उन्हें पुन: प्रदान कर दिया|-आधारशिला
ReplyDeleteआपकी ये कन्या पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी माता सती थी -उत्तम रचना नवचेतना
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ReplyDeleteउत्तम एवं रोचक जानकारी-धन्यवाद संगम युग
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