गरुण ने नागों को काट कर श्रीराम लक्ष्मण को नागपाश से छुड़ाया

विष्णुजी के वाहन हैं गरुण जी
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गरुण पक्षियों के राजा और भगवान विष्णु के वाहन हैं
गरुण कश्यप ऋषि और उनकी दूसरी पत्नी विनता की संतान हैं।
कश्यप ऋषि से कद्दू ने एक हजार नाग-पुत्र और विनता ने केवल दो तेजस्वी पुत्र वरदान के रूप में मांगे।
वरदान के परिणामस्वरूप कद्दू ने एक हजार अंडे और विनता ने दो अंडे दिए।
कद्दू के अंडों के फूटने पर उसे एक हजार नाग-पुत्र मिल गए।
किन्तु विनता के अंडे उस समय तक नहीं फूटे।
उतावली होकर विनता ने एक अंडे को फोड़ डाला।
उसमें से निकलने वाले बच्चे का ऊपरी अंग पूर्ण हो चुका था, किंतु नीचे का अंग नहीं बन पाये थे।
उस बच्चे ने क्रोधित होकर अपनी माता को शाप दे दिया कि "माता तुमने कच्चे अंडे को तोड़ दिया है, इस लिए तुम्हें पांच सौ वर्षों तक अपनी सौत की दासी बन कर रहना होगा।
ध्यान रहे दूसरे अंडे को अपने आप फूटने देना।
उस अंडे से एक अत्यंत तेजस्वी बालक होगा और वही तुम्हें इस शाप से मुक्ति दिलाएगा
इतना कहकर अरुण नामक वह बालक आकाश में उड़ गया
और सूर्य के रथ का सारथि बन गया।
एक दिन कद्दू और विनता की दृष्टि समुद्र मंथन से निकले हुए उच्चैश्ववा घोड़े पे पड़ी। कद्दू ने कहा उस घोड़े की पूंछ काली है, जबकि विनता ने उसे सफेद रंग का बताया।
दोनों में शर्त लगी जिसका कथन गलत होगा, उसे दूसरे की दासी बनना होगा।
दोनों शर्त मानकर पूंछ देखने गई।
कद्दू ने चुपचाप अपने पुत्रों को उस पूंछ से लिपट जाने की आज्ञा दी।
इससे पूंछ काली दिखाई पड़ने लगी।
विनता हार मानकर कद्दू की दासी बन गई समय आने पर विनता के दूसरे अंडे से
महातेजस्वी गरुण की उत्पति हुई।
उनकी शक्ति और गति अद्वितीय थी।
एक दिन कद्दू ने गरुण से कहा कि तुम मेरी दासी के पुत्र हो,
इसलिए तुम मेरे पुत्रों को घुमाने ले जाओ।
गरुण को इस बात पर बहुत क्रोध आया,
गरुण ने अपनी सौतेली माता की बात
मान ली
सर्पों को घुमाते हुए गरुण ने उनसे अपनी माता को दासता से मुक्त कर देने के लिये कहा।
इस बात पर सर्पों ने कहा कि यदि तुम
हम लोगों के लिए अमृत ला दोगे तो तुम्हारी माता को दासता से मुक्त कर देंगे।
अपनी माता को दासता से मुक्त कराने के लिए
गरुण ने इंद्र सहित सभी देवताओं को परास्त कर अमृत घट उनसे छीन लिया।
गरुण के पराक्रम से प्रभावित होकर इंद्र ने गरुण से मित्रता कर ली।
गरुण से मित्रता हो जाने पर इंद्र बोले, मित्र आप इस अमृत घट को मुझे वापस दे दीजिए, क्योंकि आप जिनके लिए इसे ले जा रहे हैं, वे स्वभावत: बहुत दुष्ट हैं।
इस पर गरुण ने कहा,"मुझे पता है, किंतु मैं अपनी माता को दासता से मुक्ति दिलाने के लिए अमृत उनके पास ले जा रहा हूं
आप वहां से इसे वापस ला सकते है।
गरुण अमृत को लेकर जा रहे थे ।
उसी समय वहां भगवान विष्णु प्रगट हुए
भगवान विष्णु गरुण से भोले तुम्हारे पास अमृत हैं फिर भी तुम अमृत पिए नहीं
तुम अपने माता को दासता से मुक्त कराने के लिए अमृत को ले कर जा रहे हो
विष्णु जी गरुण से प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा।
गरुण ने विष्णुजी से उनकी छत्रछाया में बने रहने का वर मांग लिया और विष्णु जी के वाहन बन गए।
गरुण ने अमृत घट को सर्पों को देकर अपनी माता विनता को दासता से मुक्ति दिलाई।
सर्पों ने अमृत घट को रख कर पवित्र होने के लिए स्नान करने चले गए
उसी समय इंद्र चोरी से उस अमृत घट को उठाकर ले गए।
रावण के पुत्र मेघनाद ने श्रीराम से युद्ध करते हुए उन्हें नागपाश से बांध दिया था।
देवर्षि नारद के कहने पर गरुण, जो की सर्पभक्षी थे, गरुण ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर श्रीराम को नागपाश के बंधन से छुड़ाया
श्रीराम के इस तरह नागपाश में बंध जाने पर श्रीराम के परब्रह्म होने पर गरुण को संदेह हो गया।

काकभुशुण्डि जी ने श्रीराम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरुण के संदेह को दूर किया
गरुण का संदेह दूर करने के लिए देवर्षि नारद जी ने उन्हें ब्रह्माजी के पास भेजा।
ब्रह्माजी ने उनसे कहा तुम्हारा संदेह
भगवान शंकर दूर कर सकते हैं
भगवान शंकर ने भी गरुण को उनका संदेह मिटाने के लिए काकभुशुण्डि के पास भेज दिया।
अंत में काकभुशुण्डि जी ने श्रीराम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरुण के संदेह को दूर किया
"गरुड़ जी भगवान विष्णु के परम भक्त और धर्म के रक्षक हैं। उनका जीवन हमें भक्ति, सेवा और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। जय गरुड़ देव!"
ReplyDelete"देवता गरुड़ पर लिखा गया यह लेख अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक है। गरुड़ जी की निःस्वार्थ भक्ति, साहस और धर्म के प्रति समर्पण हमें जीवन में सत्यमार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। आपने जिस तरह उनके चरित्र को विस्तार से प्रस्तुत किया है, वह सराहनीय है। आशा है ऐसे और लेख पढ़ने को मिलते रहेंगे। 🙏"
ReplyDelete"गरुड़ देव की भक्ति और सेवा भाव अद्वितीय है, सच में प्रेरणादायक!"
ReplyDelete"भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी की कथा अत्यंत पुण्यदायक है।"
ReplyDelete"जो गरुड़ जी का ध्यान करता है, उस पर सदैव विष्णु कृपा बनी रहती है।"
ReplyDeleteहर धर्म प्रेमी को गरुड़ देव की भक्ति जरूर करनी चाहिए – जय विष्णु वाहन!"
ReplyDelete"गरुड़ देव की कथाओं से भक्ति और ज्ञान दोनों प्राप्त होते हैं। अद्भुत प्रस्तुति
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