कलयुग में मिथ्यादेवी सर्वत्र व्याप्त रहती हैं और अपने भाई कपट के साथ घर -घर घूमती है

मिथ्यादेवी कलयुग में सर्वत्र व्याप्त रहती हैं और अपने भाई कपट के साथ घर - घर घूमती है 

श्री नारायण प्रकृति की कलाओं और देवताओं की पत्नियों का वर्णन करते हैं 

अग्निदेव की पत्नी स्वाहा हैं 

यज्ञदेव की पत्नी दीक्षा और दक्षिणा हैं 

पितृदेवों की पत्नी स्वधादेवी हैं 

गणपति की पत्नी रिद्धि, सिद्धि हैं 

शुभ की पत्नी  तुष्टि देवी है 

लाभ की पत्नी पुष्टि देवी 

वायुदेव की पत्नी स्वस्ति देवी 

सत्यदेव की पत्नी सती देवी, मोह की पत्नी दयादेवी 

और पुण्यदेव की पत्नी प्रतिष्ठा देवी हैं 

उद्योग देव की पत्नी क्रिया देवी हैं। जो सभी के द्वारा पूजित तथा मान्य हैं 

अधर्म की पत्नी मिथ्यादेवी है, जिन्हें सभी दुर्तजन पूजते हैं।

सतयुग में ये मिथ्यादेवी तिरोहित रहती हैं, 

त्रेतायुग में मिथ्यादेवी सूक्ष्मरूप से रहती हैं,

द्वापरयुग में मिथ्यादेवी आधे शरीर वाली होकर रहती हैं,

किंतु कलयुग में ये मिथ्यादेवी सर्वत्र व्याप्त रहती हैं और अपने भाई कपट के साथ घर - घर घूमती है।

सुशील की दो पत्नियां हैं --- शांति और लज्जा।

ज्ञान की तीन पत्नियां--- बुद्धि, मेधा और धृति।

रुद्र की पत्नी कलाग्नि हैं।

काल की तीन पत्नियां हैं--- संध्या, रात्रि और दीवा।

लोभ की दो पत्नियां हैं --- क्षुधा और पिपासा।

काल की दो पुत्रियां मृत्यु और जरा जो ज्वर की पत्नियां हैं।

निद्रा की एक पुत्री तंद्रा तथा दूसरी प्रीति हैं,

ये दोनों सुख की पत्नियां हैं।

वैराग्य की दो पत्नियां--- श्रद्धा और भक्ति सभी की पूज्या हैं।

प्रकृति देवी की अन्य बहुत--सी कलाएं हैं, जिनका वर्णन यहां दिया गया हैं।

ग्रामदेवीया और नारियां सभी प्रकृति की कलाएं हैं।

इसी लिए किसी नारी के अपमान से प्रकृति का अपमान माना जाता हैं।

जिसने पति----पुत्रवती सुवासिनी ब्राह्मणी का पूजन कर लिया तथा जिसने आठ वर्ष की कन्या का पूजन कर लिया, उसने मानो स्वयं प्रकृति देवी की पूजा कर ली।

भारतवर्ष में प्रकृति देवी की जो -- जो कलाएं प्रगट हुई, वे सभी तथा प्रत्येक ग्राम और नगर में जो ग्रामदेवीया है, वे सभी पूजित हैं।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

सावन का पहला सोमवार कब है

पांच देवियां हैं जो संपूर्ण प्रकृति की संचालन करती हैं

नाग पंचमी कब है 2025 में