सृजनकर्ता ब्रह्माजी

ब्रह्माजी हिंदुओं के त्रिदेवों में से एक देवता हैं। भागवत आदि पुराणों के अनुसार जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे उस समय श्री विष्णु के नाभि से एक कमल निकला, उसी कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी का रंग पीत मिश्रित कहा गया हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। ये सृष्टि करनेवाले देवता हैं। पुराण में ब्रह्मा वेदों को प्रगट करने वाले देवता कहे गए हैं। मनुष्य के कर्मानुसार शुभाशुभ फल को ब्रह्माजी ही गर्भावस्था में स्थिर कर देते हैं कहते हैं, पहले इनके पांच सिर थे, शिवजी ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया ब्रह्माजी के मिथ्या कथन से रूष्ट होकर शिवजी इनका सर काट दिया था और ये चतुर्मुख हो गए। ब्रह्माजी का वाहन हंस है ब्रह्माजी के मानस पुत्र कितने है। अलग अलग ग्रंथों में इनके मानस पुत्रों की संख्या अलग अलग बताई गई हैं कहीं दस, कहीं सत्रह, और कहीं इक्कीस ब्रह्माजी के मानस पुत्र सत्रह हैं मन से मरीचि कान से पुलस्त्य त्वचा से भृगु छाया से कंदभ इच्छा से सनक सनंदन सनातन सनतकुमार शरीर से मनु नेत्र से अत्री नाभि से पुलह प्राण स...